उर्जा उत्पादन के तरीको मे परिवर्तन के कारण कोयला खनन पर आश्रित समुदाय पर पडने वाले प्रभाव को जानने आई आईआईटी कानपुर की टीम।
कोयला आधारित उर्जा उत्पादन के कारण बडे पैमाने पर होने वाले प्रदुषण के कारण अंतरार्ष्ट्रीय स्तर पर व भारत मे भी कोयला जनित/आधारित उर्जा के उत्पादन के स्थान पर नवीकरणीय उर्जा उत्पादन जैसे सौर उर्जा आदि के क्षेत्र मे काम तेजी से चल रहा है। उर्जा उत्पादन की प्रक्रिया मे परिवर्तन के कारण कोयला खनन पर आश्रित समुदाय जैसे कोयला खनन मे कार्यरत मजदुर व कोयला खदान क्षेत्रो के आस-पास निवासरत व्यक्तियो के जीवन के सामाजिक-आर्थिक पहलु पर दुष्प्रभाव पडना सम्भावित है। उर्जा उत्पादन की प्रक्रिया मे परिवर्तन के कारण कोयला खनन पर आश्रित समुदायो के हितो पर पडने वाले सकारात्मक व नकारात्मक दुष्प्रभावो के आंकलन हेतु भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के मानविकी एवं समाज विज्ञान विभाग के डाक्टर प्रदीप स्वर्णकार के नेतृत्व मे सात्विक चतुर्वेदी(असिस्टेन्ट प्रोजेक्ट मैनेजर), नीशिकान्त(पीएचडी स्कालर), झुमुर दे(सिनियर प्रोजेक्ट असिसेटन्ट) व मनीषा दराल(प्रोजेक्ट एसोसियेट) की चार सदस्यीय टीम कोयला खनन पर आश्रित समुदाय/हितधारको के नीति प्रासंगिकता और समुदाय केन्द्रित सिफारिशो को विकसित करने के लिये खोजपुर्ण शोध करने व अनुसंधान/सर्वेक्षण हेतु उर्जांचल मे आई है।
उक्त टीम के द्वारा एनसीएल के ककरी कोयला खदान क्षेत्र मे खनन संक्रियाओ से जुडे कार्यो मे कार्यरत संविदा मजदुरो व स्थाई कर्मचारियो समेत आस पास के गांव ककरी, रेहटा, चन्दुआर, कौहरौलिया आदि मे ग्रामीणो से उर्जा उत्पादन की प्रक्रिया मे परिवर्तन के कारण यदि कोयला खनन बन्द होता है तो उनके जीवन पर पडने वाले प्रभावो को लेकर साक्षात्कार किया गया। टीम के सदस्यो ने बताया कि किसी भी पारम्परिक प्रक्रिया मे परिवर्तन हेतु निर्णय लिये जाने के पुर्व उस पर आश्रित समुदाय का मत जानना अति आवश्यक है ताकि उस पर आश्रित समुदाय के हितो पर पडने वाले सकारात्मक व नकारात्मक प्रभावो के मद्देनजर एक प्रभावी नीति विकसित की जा सके जिसके लिये यह सर्वेक्षण किया जा रहा है तथा हमारी टीम सर्वेक्षण, अनुसंधान के पश्चात प्राप्त आंकडो के आधार पर अपनी सिफारिश सम्बन्धितो को प्रेषित करेगी ताकि उर्जा उत्पादन की प्रक्रिया मे परिवर्तन अपनाने के पुर्व कोयला खनन पर आश्रित समुदाय के हित मे प्रभावी नीति विकसित की जा सके।